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गणेश की सवारी चूहा ही क्यों? जानिए

राधे राधे:

गणेश की सवारी चूहा ही क्यों है?

भगवान गणेश की सवारी चूहा होने के पीछे कई पौराणिक और सांस्कृतिक कारण हैं

भगवान गणेश और चूहा

जो हिंदू धर्म में गणेश जी के महत्व और उनके प्रतीकों को समझने में मदद करते हैं। गणेश जी, जिन्हें “विघ्नहर्ता” कहा जाता है

सभी बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। उनके वाहन के रूप में चूहे का चयन एक गहन प्रतीकात्मकता को दर्शाता हैhttp://Abpnews.com

 

गणेश की सवारी चूहे का प्रतीकात्मक महत्व:

 

चूहा एक ऐसा प्राणी है जो छोटे से छोटा, संकरे से संकरा रास्ता भी आसानी से पार कर सकता है। यह विशेषता ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक मानी जाती है।http://Newsnation

चूहा जिस प्रकार बिना किसी रुकावट के हर जगह जा सकता है, उसी प्रकार गणेश जी का आशीर्वाद पाने वाला व्यक्ति भी जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को पार कर सकता है।

चूहे का यह गुण गणेश जी के “विघ्नहर्ता” स्वरूप के साथ मेल खाता है, क्योंकि वे सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने में सक्षम हैं।

 

पौराणिक कथा:

 

गणेश की सवारी चूहा ही क्यों? एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश ने चूहे को अपनी सवारी के रूप में चुना था। चूहा, जिसे “मूषक” कहा जाता है,

पहले एक बहुत ही शक्तिशाली और विनाशकारी राक्षस था। उसका नाम मूषकासुर था, और उसने धरती पर बहुत आतंक मचा रखा था। किसी ने भी उसे हराने की हिम्मत नहीं की।

जब गणेश जी को उसकी अत्याचारों के बारे में पता चला, तो उन्होंने मूषकासुर को हराने का निर्णय लिया। अपने दिव्य शक्ति से गणेश जी ने उसे पराजित किया और उसके अहंकार को समाप्त कर दिया।

मूषकासुर ने गणेश जी से क्षमा मांगी और उनके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त की। भगवान गणेश ने उसे क्षमा करते हुए उसे अपना वाहन बना लिया। इस प्रकार, गणेश जी की सवारी चूहा बन गई।

 

गणेश की सवारी चूहा सांस्कृतिक दृष्टिकोण:

चूहा कृषि और अन्न का प्रतीक भी माना जाता है। चूहा अन्न भंडार में प्रवेश कर उसे नुकसान पहुंचाता है, इसलिए कृषि से जुड़े समाज में चूहा एक महत्वपूर्ण प्राणी माना जाता था।

चूंकि गणेश जी को भी समृद्धि और संपन्नता का देवता माना जाता है, इसलिए चूहा उनके वाहन के रूप में भी उचित प्रतीत होता है। गणेश जी के आशीर्वाद से व्यक्ति को जीवन में संपन्नता और समृद्धि प्राप्त होती है, और चूहा उसी संपन्नता का एक प्रतिनिधि है।

 

गणेश की सवारी चूहा मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलू:

 

चूहा हमारी मानसिक और आंतरिक बाधाओं का प्रतीक भी हो सकता है। जैसे चूहा अपने छोटे आकार के बावजूद किसी भी जगह पहुंच सकता है, उसी तरह हमें भी अपने जीवन की छोटी-छोटी समस्याओं को नजरअंदाज करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। गणेश जी हमें यह सिखाते हैं

कि अगर हम मानसिक रूप से मजबूत और बुद्धिमान हैं, तो किसी भी प्रकार की बाधा हमें रोक नहीं सकती। गणेश जी का वाहन चूहा हमें यह भी सिखाता है कि चाहे समस्या कितनी भी छोटी हो, उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी छोटी समस्याएं भी बड़े संकट का कारण बन सकती हैं।

 

सारांश:

 

गणेश जी की सवारी चूहा होने का कारण केवल पौराणिक कथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरी प्रतीकात्मकता को भी दर्शाता है। चूहा एक ऐसा प्राणी है जो ज्ञान, बुद्धि, और समस्याओं को हल करने की क्षमता का प्रतीक है।

यह हमें सिखाता है कि छोटी से छोटी समस्या का भी समाधान है, अगर हम धैर्य, साहस, और बुद्धिमानी से काम लें। गणेश जी का चूहे को अपना वाहन बनाना इस बात का प्रतीक है कि जीवन में चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, वे हमें रोक नहीं सकतीं अगर हमारे पास ज्ञान और बुद्धि का साथ हो।

भगवान गणेश और चूहा

यही कारण है कि गणेश जी की सवारी के रूप में चूहा का विशेष महत्व है, और यह हमें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने की प्रेरणा देता है।

आपका दिन मंगलमय हो

गणपत बब्बा मोरिया

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