दोस्तों नमस्कार:
विनेश फोगाट: ओलंपिक 2024 से हुईं बाहर
प्रारंभिक जीवन और परिवार:
विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के बलाली गांव में हुआ था। फोगाट परिवार भारतीय कुश्ती के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम है।
उनके पिता राजपाल फोगाट और ताऊ महावीर फोगाट ने उन्हें पहलवानी की दुनिया में प्रेरित किया।http://Indianews.com
महावीर फोगाट ने अपनी बेटियों और भतीजियों को पहलवान बनाने के लिए समाज की परवाह किए बिना कड़ी मेहनत की।
करियर की शुरुआत:
विनेश ने 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी में अपनी पहचान बनानी शुरू की। उन्होंने 2013 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और जल्द ही 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर सबका ध्यान खींचा। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें भारत की प्रमुख महिला पहलवानों में से एक बना दिया।
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
विनेश की उपलब्धियों की सूची लंबी है, लेकिन कुछ प्रमुख मील के पत्थर इस प्रकार हैं:
1. राष्ट्रमंडल खेल 2014: विनेश ने 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता, जो उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
2. एशियाई खेल 2018:विनेश ने 50 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। वह एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं।
3. विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 2019:विनेश ने कांस्य पदक जीता, जो उनके करियर की एक और बड़ी उपलब्धि थी।
4. टोक्यो ओलंपिक 2020:विनेश फोगाट ने टोक्यो ओलंपिक में क्वार्टरफाइनल तक का सफर तय किया। हालांकि वह पदक नहीं जीत पाईं, लेकिन उनकी दृढ़ता और संघर्ष ने उन्हें प्रशंसा दिलाई।
चुनौतियाँ और वापसी:
विनेश फोगाट का करियर केवल सफलताओं से ही नहीं भरा है, बल्कि उन्होंने कई चुनौतियों का भी सामना किया है। 2016 रियो ओलंपिक में उनके घुटने में गंभीर चोट लग गई थीhttp://Abpnews.com
जिससे उनके करियर पर संकट आ गया था। लेकिन उनकी दृढ़ता और आत्मविश्वास ने उन्हें फिर से मैट पर वापसी करने में मदद की।
सम्मान और पुरस्कार:
विनेश फोगाट को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
2020 में उन्हें ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ से नवाजा गया, जो भारत का सबसे बड़ा खेल सम्मान है। इसके अलावा, उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ और ‘पद्म श्री’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
समाज और प्रेरणा:
विनेश फोगाट ने न केवल कुश्ती में अपनी पहचान बनाई है, बल्कि वह महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनी हैं। उनकी सफलता ने कई लड़कियों को पहलवानी को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया है। विनेश का मानना है कि कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को
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